राहुल गांधी के खास जितिन प्रसाद बीजेपी में हुए शामिल
उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने आज भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन कर लिया। कांग्रेस पार्टी की नीति पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। पार्टी के नेता भले ही पार्टी के अंदर चल रहे मतभेदों पर खुलकर बयान तो नहीं देते लेकिन पार्टी छोड़कर दूसरे पार्टी में जाना इस बात को साफ संकेत देता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राहुल गांधी के सबसे महत्वपूर्ण और खास माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस पार्टी को ठुकराया था।
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कांग्रेस पार्टी क्यों छोड़ी ?
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में से एक जितिन प्रसाद पिछले कई दिनों से पार्टी के हाईकमान से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस पार्टी में तवज्जो नहीं मिलने और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। जितिन प्रसाद की शिकायत को कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने नजरअंदाज किया जिसके वजह से आज उन्होंने बीजेपी का दामन थामने का फैसला कर लिया।
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उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर बीजेपी अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने की तरफ बढ़ रही है। खबरों के अनुसार बीजेपी से उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को एक बड़ी नाराजगी है और ऐसे में बीजेपी जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर ब्राह्मणों के बीच में एक बड़ा संदेश देने की तैयारी में है।
आइए जानते हैं कौन है जितिन प्रसाद ?
जितिन कांग्रेस के एक दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जितेंद्र प्रसाद राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार हुआ करते थे। सन 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था जिसमें वह हार गए और 2001 में उनका निधन हो गया। पिता के निधन के बाद से राजनीतिक विरासत को जितिन प्रसाद ने संभाला। 2001 में वह इंडियन यूथ कांग्रेस से जुड़े।
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जितिन पहली बार 2004 में पहुंचे लोकसभा
जितिन प्रसाद पहली बार शाहजहांपुर से सीट जीतकर 2004 में लोकसभा पहुंचे थे। यूपीए 1 की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। जितिन धौराहरा लोक सभा से 2009 में चुनाव लड़े और जीते। यूपीए-2 की सरकार में भी पेट्रोलियम और सड़क परिवहन जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी । जितिन 2014 में चुनाव हार गए। इसके बाद से जितिन प्रसाद के राजनीतिक कैरियर गर्दिश में चलने लगे।
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