उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में जिन सीटों पर 23 फरवरी को वोटिंग होगी मन में सीतापुर विधानसभा सीट भी शामिल है। यहां कांग्रेस की शमीना शफीक भारतीय जनता पार्टी के राकेश राठौर समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जयसवाल और बहुजन समाज पार्टी के खुर्शीद अंसारी के बीच मुकाबला है। 1993 तक यह सीट सीतापुर ईस्ट के नाम से जानी जाती थी, साल 1993 के बाद इसे सीतापुर विधानसभा कहा जाने लगा। इस सीट का राजनैतिक इतिहास बेहद ही दिलचस्प रहा है, सीतापुर विधानसभा सीट पर कभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन 1996 में समाजवादी पार्टी अपनी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के वर्चस्व को तोड़ा। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जयसवाल नें भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र गुप्ता को मात दी यहां साल 2002-2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जयसवाल ने जीत का परचम लहराया था। लेकिन साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के वर्चस्व को तोड़ा इस विधानसभा सीट पर साल 2017 के चुनावी नतीजों की बात करें तो यह भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया। भारतीय जनता पार्टी के राकेश राठौर ने समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जयसवाल को 24 हजार 839 वोटों के अंतर से मात दी।
सीतापुर विधानसभा सीट पर इस बार किसका होगा कब्जा?
भारतीय जनता पार्टी के राकेश राठौर को 98 हजार 850 वोट मिले जबकि समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जयसवाल ने 74 हजार 11 वोट हासिल किये थे। वही बहुजन समाज पार्टी के अशफाक खान को 52 हजार 181 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। कुल वोट प्रतिशत 42.31 फीसदी रहा यहां कुल वोटर्स की संख्या 3 लाख 78 हजार है, इनमे पुरुष वोटो की संख्या 2 लाख 9 हजार 55 है। वही महिला वोटर्स की संख्या 1 लाख 86 हजार 331 है, इस थर्ड जेंडर वोटर की संख्या 30 है। यहां दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स सबसे ज्यादा है, यहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के अलावा सभी पॉलीटिकल पार्टीज की नजरें मुस्लिम वोटर्स पर है।कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम वोटर्स के साथ ही OBC मोटर्स को साधने में लगी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी इस बार के सियासी रण में सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए वोटर्स को लुभाने में लगी है। उम्मीदवारों सभी पॉलिटिकल पार्टियों की ओर से वोटर्स से विकास की गंगा बहाने के वादे किए जा रहे हैं।
डोर टू डोर कैंपेन के जरिए ज्यादा से ज्यादा वोटर्स को अपने तरफ लुभाने की कोशिश की जा रही है। सियासी दंगल में कौन सा उम्मीदवार सफल होगा? कौन सियासी ताज पहने गा ये फरवरी को हों रही परीक्षा के बाद 10 मार्च को आने वाले नतीजों से साफ होगा।