राजस्थान सरकार ने पलक झपकते ही 30 हजार स्वास्थ्य कर्मियों को एक झटके में किया बेरोजगार।

देश में कोरोना की जब दूसरी लहर आई थी तो राजस्थान सरकार ने 30,000 स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती के आदेश दिए थे। देश में कोरोना की दूसरी लहर तो ठंडी पड़ गई है मगर बेरोजगारी अभी अपने सातवें आसमान पर है। राजस्थान सरकार ने 30,000 स्वास्थ्य कर्मियों को भर्ती करने का आदेश दिया था मगर कोरोना ढीला पड़ा तो सरकार करार खत्म करने लगी।

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6 दिन कि नौकरी के बाद निकला

राजस्थान नर्सिंग काउंसिल ने 40 साल से संविदा पर काम कर रहे लोगों को कोरोना काल में हटा दिया था। सरकार के इस रवैए पर शुक्रवार को दौसा में नर्सिंग कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया है। इन लोगों का आरोप है कि सरकार ने कोरोना काल में हमें संविदा पर रखने का वादा किया था। इनमें से कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि हमने इस कोरोना काल में 6 दिन की नौकरी भी कर ली थी मगर अचानक से संविदा पर किया गया वादा सरकार ने खत्म कर दिया है।

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वही कुछ लड़कियों का आरोप है कि हम लोग अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर चुके थे और अचानक से मुख्यालय से आदेश आया कि आपकी नौकरी अब खत्म हो गई है। राजस्थान में 30,000 नर्सिंग कर्मियों के पोस्ट कोरोना काल में निकाला गया है जबकि सरकार ने 15000 की भी जॉइनिंग नहीं कराई। जब इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनीष चौधरी से बात हुई उन्होंने कहा कि जयपुर से दिशा-निर्देश मांगा गया है और इसके लिए हम प्रयासरत हैं। जयपुर में सभी स्टाफ का करार खत्म कर दिया गया है।

नेताओ – मंत्रियों के घर पर धरना जारी

इस आदेश के बाद नर्सिंग कर्मी चिलचिलाती धूप में कभी सचिन पायलट के घर के सामने बैठते हैं तो कभी स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के घर के बाहर बैठ जाते हैं। इन सभी स्वास्थ्य कर्मियों की दिनचर्या सुबह से लेकर शाम तक इन्हीं दो जगहों तक सिमट गई है। राजस्थान नर्सिंग काउंसिल में 7 साल से कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रही पिंकी गौतम ने बताया कि संविदा को अचानक से खत्म कर दिया गया है।

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कोर्ट के स्टे को किया जा रहा नजरअंदाज

15 सालों से ऑफिस इंचार्ज राधे मीणा ने बताया कि अब रोज सुबह घर से निकलते हैं मगर ऑफिस जाने के लिए नहीं बल्कि विधायकों और मंत्रियों तथा नेताओं के घर के बाहर धरने पर बैठने के लिए निकलते हैं। इन सभी लोगों का आरोप है इतने सालों से नौकरी करने के बाद अब हम कहां जाएंगे। इन लोगों ने बताया कि कोर्ट से स्टे भी इससे आया मगर कोर्ट का स्टे मानने के लिए भी कोई तैयार नहीं है |

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