देश में चल रही कोरोना महामारी की लड़ाई के खिलाफ भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) को बहुत जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से अप्रूवल मिलने वाला है। इस वैक्सीन को बनाने वाली भारत बायोटेक हैदराबाद में स्थित है और इसने इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर इस वैक्सीन को तैयार किया। डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट ने यह माना है कि इस वैक्सीन का असर काफी संतोषजनक है।
डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक ट्रायल के दौरान कोवैक्सीन (COVAXIN) का डाटा संतोषजनक पाया गया है। इसके बाद से ही डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिलने की उम्मीद है कोवैक्सीन के लिए बढ़ गई हैं। WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि प्री सबमिशन मीटिंग भारत बायोटेक और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच 23 जून को हुआ था। उन्होंने बताया कि अब ट्रायल के दौरान किए गए डाटा को इकट्ठा किया जा रहा है। डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट पर कोवैक्सीन का असर बेहद कम है लेकिन इसके बावजूद काफी हद तक कारगर साबित हुई है। ओवराल एफीकेसी इस वैक्सीन की काफी ज्यादा है।
तीसरे फेज के ट्रायल में डाटा क्या मिला?
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इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने इस वैक्सीन को एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट की मंजूरी दी थी। कोवैक्सीन (COVAXIN) को अप्रूवल दिलाने के लिए भारत बायोटेक ने एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट 19 अप्रैल को ही सबमिट कर दिया था। बीते 26 जून को भारत बायोटेक ने वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल का डाटा जारी किया है। इस डाटा के अध्ययन के मुताबिक बताया गया कि कोवैक्सीन सिंप्टोमेटिक लोगों पर 77.8% तक असरदार साबित हुई है जबकि गंभीर लक्षण वाले मामलों में इस वैक्सीन का असर 93.4% है। इस डेटा के मुताबिक इस वैक्सीन का असर डेल्टा वैरिएंट पर सिर्फ 65.2% तक ही साबित हुई है।
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अप्रूवल लेना जरूरी क्यों है?
भारत बायोटेक द्वारा बनाई कोवैक्सीन (COVAXIN) को भी अप्रूवल लेना जरूरी इसलिए है क्योंकि जिन अंतरराष्ट्रीय देशों ने यात्रा करने की इजाजत दी है उन्होंने अपनी रेगुलेटरी अथॉरिटी या विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग से अप्रूव हो चुके वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को ही यात्रा करने की इजाजत देते हैं। ऐसे में जब तक कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की इस लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता तब तक को वैक्सीन लगवाने वाले लोग इन अंतरराष्ट्रीय देशों की यात्रा नहीं कर पाएंगे।
डब्ल्यूएचओ की लिस्ट में 7 वैक्सीन है शामिल।
इमरजेंसी यूज की लिस्ट में डब्ल्यूएचओ ने अब तक सिर्फ 7 वैक्सीन को मंजूरी दी है। उन सातों वैक्सीन में मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्रेजनेका, कोविशिल्ड , कोरोनावैक, जेन्सेन, और सिनोफोर्म शामिल है।
इमरजेंसी यूज़ लिस्ट की अहमियत क्या है?
इसकी अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इस लिस्ट में जिन भी वैक्सीन को रखा जाता है उन पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में हेल्थ प्रोडक्ट को जांचने के बाद शामिल किया जाता है। Pfizer की वैक्सीन को पिछले साल 31 दिसंबर 2020 को इमरजेंसी लिस्टिंग में शामिल किया था जबकि 15 फरवरी 2021 को Astrazeneca की वैक्सीन को शामिल किया गया और Johnson and Johnson की वैक्सीन को 12 मार्च को इमरजेंसी अप्रूवल मिला था। इमरजेंसी को देखते हुए WHO ने कहा कि हमें जल्द से जल्द दवा , वैक्सीन विकसित करना और उनको अप्रूवल देना जरूरी है लेकिन इसके साथ साथ सभी हेल्थ प्रोडक्ट्स की सेफ्टी के साथ क्वालिटी को ध्यान में रखना होगा और सभी मानकों पर खरा उतरना होगा। महामारी के दौरान व्यापक स्तर पर इन प्रोडक्ट्स की उपयोगिता सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
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