कोरोना की वजह से देश में आर्थिक तंगी तो थी ही लेकिन अब चीन के बाद भारत में भी बिजली का संकट (Electricity Crisis In India) बढ़ता जा रहा है। पूरे देश में बिजली की संकट जारी है। दिल्ली में ब्लैक आउट की चेतावनी भी जारी की गई है। अगर देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाली आबादी राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां पर 8 संयंत्र अस्थाई रूप से बंद किए गए हैं।
Electricity Crisis In India केंद्र सरकार के लिए बन रहा बड़ी चुनौती
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पंजाब और आंध्र प्रदेश में भी कोयले की कमी पावर प्लांट की तरफ से जाहिर की जा रही है। बिजली संकट को देखते हुए केंद्र के सामने राज्यों की मांग को पूरी करना एक बड़ा चुनौती बनता चला जा रहा है। इस पूरे मामले (Electricity Crisis In India) को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि हम ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में सप्ताह में दो बार कोयले की स्टॉक की समीक्षा कर रहे हैं।
अरविन्द केजरीवाल ने Electricity Crisis In India को लेकर केंद्र सरकार को लिखा है खत
देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जल्द से जल्द कोई इस पर कोई कदम नहीं उठाती है तो राजधानी में बिजली का संकट (Electricity Crisis In India) बढ़ जाएगा और आपके घरों की बिजली गुल हो सकती है। अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को खत में लिखा कि कोयले से चलने वाली 135 संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास सिर्फ 1 से 3 दिन का कोयला बचा है।
Electricity Crisis In India को लेकर ऊर्जा मंत्रालय ने दिया है बयान
ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से बिजली संकट पर बयान देते हुए कहा गया कि करुणा से अर्थव्यवस्था जूझ रही थी किस को पटरी पर लाने के लिए बड़ी मात्रा में फैक्ट्रियों व कंपनियों को संचालित किया गया। इतने बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियों के संचालन होने के बाद बिजली की मांग और खपत बढ़ गई और यह दैनिक खपत देश में बढ़कर 4 अरब यूनिट तक पहुंच गई है। यह पूरी मांग 65 से 70% कोयले से चलने वाले संयंत्रों से की जा रही है।
आयात होने वाले कोयले के दाम बढ़ने से भी Electricity Crisis In India बन रहा कारण
2019 में सितंबर महीने की बात करें तो देश में 106.6 बिलियन यूनिट की खपत हुआ करती थी लेकिन 2021 में इसकी मात्रा बढ़ कर 124.2 मिलियन यूनिट पहुंच गई। ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि बाहर से आयात होने वाले कोयले के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। सितंबर अक्टूबर में $160 प्रति टन कोयले का दाम हो गया है जो मार्च के महीने में $60 प्रति टन हुआ करता था। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि अचानक से कोयले के आयात होने वाले दामों में बढ़ोतरी की वजह से कोयले की आयात में कमी हुई और घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ती चली गई जिसके कारण कोयले से बिजली उत्पादन में 43.6 फ़ीसदी की कमी हो गई है।
Electricity Crisis In India के क्या है मुख्य कारण ?
देश में बिजली के कारण बिजली संकट के कई सारे मुख्य कारण हैं जैसे-
1. कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था जूझ रही थी जिसको पटरी पर लाने के लिए लंबे पैमाने पर फैक्ट्रियों को संचालित किया गया और बिजली की मांग बढ़ गई।
2. सितंबर महीने में कोयले की खदान वाले क्षेत्र में भारी बारिश हुई जिसके कारण कोयले के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।
3. आयात होने वाले कोयले के दाम भी बढ़ गए जिसके वजह से कोयले की आयात वाली मात्रा कम हुई है और बिजली उत्पादन संयंत्र तक कोयले की कमी होने लगी।
4. मानसून के शुरुआती दौर में कोयले का कोई स्टॉक नहीं हो पाया था।
5. महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोयला कंपनियों पर भारी बकाया भी बिजली कारण का संकट (Electricity Crisis In India) बन गया है।
6. अप्रैल से सितंबर के बीच घरेलू कोयले की खपत बढ़ गई है।
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