konark wheel sun temple पर जो बाइडेन ने मोदी से की बातचीत
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दिल्ली के भारत मंडपम में आज से G20 समिट (G20 Summit) का आयोजन शुरू हो चुका है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेहमानों का गर्म जोशी से स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी जहां G20 में सम्मिलित होने के लिए आए मेहमानों का स्वागत कर रहे थे वहीं उनके ठीक पीछे एक पहिया (konark wheel sun temple) चर्चा का विषय बना हुआ है. वह पहिया चर्चा का केंद्र है.
konark wheel sun temple का क्या है महत्व
वह पहिया कोणार्क चक्र (konark wheel sun temple) के नाम से जाना जाता है. कोणार्क चक्र में सिर्फ संस्कृति ही नहीं बल्कि साइंस भी समाई हुई है. प्रधानमंत्री जहां मेहमानों का स्वागत कर रहे थे वहीं उनके पीछे के बैकग्राउंड कोणार्क चक्र का था जिसका सिर्फ धार्मिक या आस्था से जुड़ा हुआ महत्व नहीं है बल्कि उसका वैज्ञानिक महत्व भी है. कहा जाता है कि कोणार्क चक्र असल में एक प्राचीन घड़ी है जो सूरज के उगने और अस्त होने के समय के बारे में बताता है.
क्या है कोणार्क चक्र (konark wheel sun temple) की पूरी कहानी
दरअसल कोणार्क का सूर्य मंदिर अपने आप में बेहद खुबसूरत पथरीली कलाकृतियों के लिए जाना जाता है. ये पहिए सूर्य मंदिर में जाने वाले हर व्यक्ति को आकर्षित करते हैं. ये पहिए कोणार्क के सूर्य मंदिर में बने विशालकाय रथ में लगे हैं. इस रथ में ऐसे 24 पहिए (यानी 12 जोड़े) लगे हुए हैं. इस रथ को सात घोड़े खीचतें हैं.
इन सभी पहियों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है जो इन पहियों को आकर्षण का केन्द्र बना देते हैं. इस पहिए की डायामीटर यानी व्यास 9.9 फीट के आसपास है. हर एक पहिए में 8 मोटी और 8 पतली तीलियां लगी हुई हैं. ये इस बात का संकेत देते है कि कैसे पूरी दुनिया सूर्य के ऊर्जा से चलती है.
कोणार्क चक्र (konark wheel sun temple) की खासियत क्या है ?
हमने आपको पहले बताया कि इस रथ में 7 घोड़े हैं. ये सात घोड़े हफ्ते के सात दिन को दिखाते हैं. वहीं इसके पहियों की संख्या 12 जोड़ा है जो साल के 12 महीने के सुचक हैं. इन 12 जोड़े पहियों को समझे तो 12 जोड़े यानी 24 पहिए जो दिन के 24 घंटे के बारे में बताते हैं. ये पहिए सिर्फ 12 महिने ही नहीं बल्कि 12 राशियों को भी दर्शाते हैं.
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इन पहियों में लगी 8 मोटी तीलियां 8 प्रहर के बारे में बताती हैं. इसलिए इन पहियों को जीवन का पहिया भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इन पहियों से ये भी पता चलता है कि सूर्य कब उगेगा और कब अस्त होगा. इस पहिए को नरसिम्हादेव प्रथम ने 13वीं सदी में बनवाया था.
पहिए पर महिलाओं की कलाकृति क्यों बनी हैं ?
पहिए का केन्द्र यानी एक्सेल करीब एक फीट निकला है. इस पहिए की रिम पर बेहतरीन नक्काशी का नमूना भी देखने भी देखने को मिलता है. पहिए की रिम पर पशु-पक्षियों के साथ-साथ फूल-पत्तियां भी उकेरी गई हैं. इस पहिए की चौड़ी तीलियों को बीच में गोलाकार आकृतियों में महिलाओं की तरह-तरह की मुद्राएं बनाई गई हैं. इन मुद्राओं से महिलओं के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कार्यशैली को दर्शाया गया है.
konark wheel sun temple कब बताता है सही समय ?
इन 24 पहियों से 2 पहिए ऐसे हैं जो सूरज के उगने से लेकर अस्त होने तक का पूरा सही समय बताते हैं. इन पहियों के एक्सेल के बीचोबीच अगर आप अपनी अंगूली रखते हैं तो आपकी परछाई पड़ते ही आपको वो पहिए सही समय बताने लगते हैं.