दुनिया के बहुत से देश अभी भी Corona महामारी से परेशान है। भारत में Corona की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन इसी बीच अमेरिका में करीब 1.80 लाख बच्चे Corona संक्रमित पाए गए हैं। खबरों के मुताबिक इन बच्चों की उम्र 2 महीने से लेकर 12 साल के बीच की है।
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👉कोरोना की तीसरी लहर ने दी दस्तक?
👉अमेरिका में बच्चों पर कोरोना का कहर जारी।
👉बीते 7 दिन में 1.80 लाख बच्चे कोरोना संक्रमित हुए है।
👉अधिकतर बच्चों की उम्र 2 महीने से लेकर 12 साल के बीच है।
👉अधिक सावधान रहने की जरूरत है।#COVID19 #coronavirus— Nilesh Govind Rao (@JournalistNGRao) August 30, 2021
भारत में लापरवाही पड़ेगी भारी
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यह खबर सिर्फ पढ़ने भर के लिए नहीं बल्कि भारत के लोगों को सचेत करने के लिए भी है। लोग Corona की दूसरी लहर के प्रभाव कम होते ही लापरवाही शुरू कर दिए हैं। लोग पहले की तरह से भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क का प्रयोग न के बराबर कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कहीं भी नहीं दिख रहा है। अगर ऐसे ही भारत में चलता रहा तो तीसरी लहराने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।
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दक्षिण अफ्रीका में मिला Corona का एक और वेरिएंट
दक्षिण अफ्रीकी समेत दुनिया के कई देशों में Corona के एक और नए वेरिएंट ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। खबरों के मुताबिक वेरिएंट पहले से ज्यादा संक्रामक है। यह वेरिएंट वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को भी चकमा देने में सक्षम है। दक्षिण अफ्रीका के National Institute for Communicable Diseases, NICD) और क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म के वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया की Corona का वेरिएंट C.1.2 मई में सबसे पहले सामने आया था। उसके बाद यह वेरिएंट अगस्त तक चीन, कांगो, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, पुर्तगाल, और स्विट्जरलैंड में भी पाया गया।
ज्यादा बदलाव के वजह से इसको वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट में रखा गया
वैज्ञानिकों ने बताया पहली लहर के दौरान दक्षिण अफ्रीका में Corona का वेरिएंट C.1 मिला लेकिन इसमें बदलाव होने के बाद यह वेरिएंट C.1.2 हो गया है जो ज्यादा बदलाव के साथ पाया गया है। इसमें ज्यादा बदलाव होने की वजह से ही इस वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में डाल दिया गया है।
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वेरिएंट C.1.2 में ज्यादा हुआ है म्युटेशन
वैज्ञानिकों ने एक और दावा किया कि अब तक मिले दुनिया में जितने भी वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट हैं उनकी तुलना में C.1.2 में ज्यादा म्यूटेशन पाया गया है। वैज्ञानिकों ने एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि यह वेरिएंट अधिक संक्रामक हो सकता है और कोरोना की वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को भी भेद सकता है।
मई के बाद इसके मामले तेजी बढ़े है
एक स्टडी के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में हर महीने की 12 जून की संख्या बढ़ने लगी है और मई में जिनोम सीक्वेंसिंग के 0.2% था लेकिन जून में यह संख्या 1.6% हो गया जबकि जुलाई में बढ़कर 2% हो गया है। इस वेरिएंट के स्टडी पर मिलने वाली जानकारी के मुताबिक Corona के इस वेरिएंट म्युटेशन रेट 41.8 प्रतिशत है और मौजूदा ग्लोबल म्यूटेशन रेट से 2 गुना तेज भी है।
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अल्फा बीटा वेरिएंट का खिलाफ बने एंटीबाडी वाले मरीजों में भी मिला यह वेरिएंट
आपको बता दें स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल करके Corona वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करता है और उसमें प्रवेश होता है। अधिकतर वैक्सीन इसी क्षेत्र पर अपना टारगेट बनाते हैं। वैज्ञानिकों के दिए जानकारी के अनुसार म्यूटेशन N440K और Y449H वेरिएंट C.1.2 में पाए गए हैं। म्यूटेशन के बाद वायरस में बदलाव होने के साथ-साथ एंटीबॉडी और इम्यून रिस्पांस से बचने में भी मदद करती है। यह उन मरीजों में भी पाया गया है जिनके अंदर अल्फा बीटा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी थी।
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