देश में जब से केंद्र सरकार ने निजीकरण (Privatization) का काम शुरू किया है तब से कुछ पार्टियों को यह निजीकरण (Privatization) का काम रास नहीं आ रहा है। इस निजीकरण के मुद्दे को लेकर देश की विपक्षी पार्टियां अलग-अलग अपनी राय रख रही हैं और बहस शुरू हो गई है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत कई पार्टी बयान दे रहे हैं और कह रहे हैं कि देश की संपत्ति को बेचा नहीं जाना चाहिए। विपक्षी पार्टियां विश्वासघात का आरोप लगा रही हैं। विपक्षी पार्टियों का मानना है कि राष्ट्र की संपत्ति नीलाम कर देने से रोजगार के अवसर कम होने लगेंगे।
यह भी पढ़े: corona third wave : कोरोना के तीसरी लहर से आने से पहले पीएम मोदी का मंथन, बुलाई अहम बैठक।
Privatization पर राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
विषय सूची
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को लॉजिक देते हुए निशाना साधा है। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा हम निजीकरण (Privatization) के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हमारे प्राइवेटाइजेशन (Privatization) का भी एक लॉजिक होता था। राहुल गांधी ने कहा कि स्ट्रैटेजिक इंडस्ट्री को प्राइवेटाइज नहीं किया जाना चाहिए। रेलवे ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा साधन है लेकिन साधन के साथ-साथ यह युवाओं को रोजगार देने का भी काम करता है।
पनियों को जबरजस्ती निजीकरण के तरफ धकेला जा रहा है
राहुल गांधी ने कहा कि मेरा हिंदुस्तान के युवाओं से अपील है कि सरकार ने आपके हाथों से रोजगार को छीन लिया है और कुरौना काल में भी आपकी मदद नहीं की गई। किसानों के खिलाफ जो 3 नए कानून बने वह भी उचित नहीं है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने मित्रों को हिंदुस्तान का क्या-क्या बेच कर दे रहे हैं उसकी पूरी लिस्ट यह है। राहुल गांधी ने कहा सरकार सभी चीजों को प्राइवेट करने में तुली हुई है। देश की रक्षा कंपनियां लाभ में है लेकिन सरकार उन्हें बेचने की तैयारी में जुटी है। सभी कंपनियों को जबरजस्ती निजी करण के तरफ धकेला जा रहा है।
एआईडीईएफ के महासचिव ने भी Privatization पर उठाया सवाल
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव श्री कुमार ने निजीकरण के बारे में बात करते हुए बताया कि लोगों को चुनावी घोषणा पत्र को पढ़ना चाहिए और उसी घोषणापत्र के वजह से लोगों ने भाजपा पर यकीन किया था। लेकिन उस पूरे घोषणापत्र में कहीं भी नहीं लिखा था कि हम निजीकरण करेंगे और सब कुछ प्राइवेट कर देंगे। श्री कुमार के मुताबिक इस निजीकरण (Privatization) की वजह से रोजगार का क्रम टूटेगा और क्राइम में बढ़ोतरी हो जाएगी।
यह भी पढ़े: School Reopen : स्कूल खुलते ही छात्रों के चेहरे पर लौटी रौनक, जाने स्कूल को लेकर क्या है नए नियम।
Privatization से युवा जुर्म की तरफ बढ़ाएंगे कदम
श्री कुमार के मुताबिक जब देश के युवाओं को नौकरी नहीं मिलेगी तो वह धीरे धीरे क्राइम की तरफ अपना कदम बढ़ाने लगेंगे। सरकार ऐसे दिन क्यों लाना चाहती है यह समझ से बाहर है। सरकार कोई नई प्रोजेक्ट नहीं ला रही और पुराने को धड़ल्ले से बेच रही है। श्री कुमार ने पूछा कि क्या सरकार को जनता ने इसीलिए भारी बहुमत देकर चुना है। श्री कुमार के मुताबिक भाजपा के घोषणा पत्र में यह कहीं भी नहीं लिखा था कि हम सब कुछ प्राइवेट कर देंगे। श्री कुमार के मुताबिक निजीकरण करना करोड़ों वोटरों के साथ धोखा है।
बीते 5 सालों में सरकार ने कई महकमे किये है बंद
आपको बता दें पिछले 5 सालों से केंद्र सरकार ने अनेक विभागों में नौकरी देना बंद कर दिया है। कई सारे महकमे में बंद किए जा चुके हैं और वहां से निकले हुए कर्मचारियों को इधर-उधर किसी तरह से एडजस्ट किया जा रहा है। आपको बता दें बीते दिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के बारे में जानकारी दी।
यह भी पढ़े: Narayan Rane ने उद्धव ठाकरे को क्यों कहा मैं होता तो थप्पड़ मार देता ?
4 साल में 6 लाख करोड़ जुटाने का है लक्ष्य
वित्त मंत्री के मुताबिक केवल कम उपयोग की गई संपत्तियों को सरकार लीज पर दे कर पैसा कम आएगी लेकिन इसका मालिकाना हक अभी भी सरकार के पास ही रहेगा पुलिस स्टाफ। इस निजी करण योजना के तहत ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर सेट से पैसा जुटाने की कोशिश सरकार कर रही है। सरकार अगले 4 साल में छह लाख करोड़ रूपये जुटाने की लक्ष्य बनाई है।
3 thoughts on “Privatization से रोजगार बढ़ेगा या जुर्म ? जाने निजीकरण पर विपक्षी पार्टियों का क्या है सवाल ?”