जब से देश में CORONA VACCINE लगनी शुरू हुई है तब से बहुत से लोग इस बात को लेकर चर्चा करते रहे हैं कि सरकार अपनी योजनाओं को लाभ देने के लिए लोगों को वैक्सीनेशन कराने की अनिवार्यता कर सकती है। कुछ पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मेघालय की सरकार ने कई जिलों में दुकानदारों, ऑटो चालक और टैक्सी चालकों के साथ- साथ ठेलों पर सामान बेचने वालों के लिए CORONA VACCINE को जरूरी कर दिया है। सरकार ने शर्त रखी कि बगैर वैक्सीनेशन के कोई भी अपना काम दोबारा शुरू नहीं कर सकता।
CORONA VACCINE को लेकर मेघालय के कई जिलों में आदेश जारी
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मेघालय की सरकार द्वारा इस आदेश को कई जिलों में जारी कर दिया गया है। सरकार द्वारा जारी इस आदेश को जब मेघालय हाई कोर्ट में पहुंचाया गया कोर्ट ने इस को निरस्त करते हुए कहा, CORONA VACCINE लेने की अनिवार्यता नहीं की जा सकती है। अदालत ने इस फैसले को देते हुए कहा कि इस फैसले से लोगो के मौलिक अधिकार और निजता के अधिकार का हनन किया जा रहा है।
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मेघालय ही नहीं गुजरात भी है इस सूचि में शामिल
मेघालय सिर्फ इकलौता राज्य नहीं है जिसने वैक्सीनेशन को जरूरी कर दिया था। इसमें गुजरात भी शामिल है और गुजरात के 18 शहरों में व्यवसायिक संस्थानों में कहा गया था कि अपने कर्मचारियों का टीकाकरण 30 जून से पहले जरूर करवा लें। कई अन्य शहरों में इसकी सीमा 10 जुलाई तक रखी गई थी। गुजरात सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि अगर कोई कंपनी या संस्थान ऐसा नहीं करता है तो उसको बंद करा दिया जाएगा। ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या भारत में कोरोना वैक्सीन लगवाना अनिवार्य किया जा सकता है?
वैक्सीनेशन को लेकर कानून में क्या प्रावधान है ?
कानून के जानकारों से बातचीत के मुताबिक देखा जाए तो उन्होंने कहा कि इसको लेकर कानून में किसी भी प्रकार की कोई स्पष्टता नहीं है। टीकाकरण को अनिवार्य करने के मामले में विभिन्न अदालती आदेशों का अध्ययन करने की व्याख्या हो रही है। आपको बता दें वैक्सीनेशन जब शुरू हुआ था तो चिकित्सा कर्मियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया था। उसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी टीका लगवाने की अनिवार्यता कर दी गई थी। बाद में केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण अभियान को स्वैच्छिक कहने लगी। लेकिन जब इन लोगों के लिए अनिवार्य कर दिया गया तो फिर यह टीकाकरण स्वैच्छिक कैसे हुआ?
आपका अधिकार क्या है ?
वरिष्ठ अधिवक्ता बताते हैं कि अगर CORONA VACCINE को अनिवार्य कर दिया गया तो उनके मौलिक और निजता के अधिकार का हनन है। अधिवक्ता के मुताबिक टीकाकरण के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। लेकिन फिर बहस इस बात पर शुरू हो जाएगी कि क्या टीका नहीं लेने लेने वाला व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करेगा? क्योंकि किसी दूसरे व्यक्ति की वजह से कोई तीसरा व्यक्ति अगर स्वस्थ नहीं रह पाता है तो वह उसकी निजता का हनन है और उसके स्वस्थ रहने का अधिकार का उलंघन भी है।
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