जबसे केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए नए कानून लाए हैं। तब से केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच में विवाद पैदा हो गया है। इसी विवाद को आगे बढ़ाते हुए आज सुबह देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट से वेरीफिकेशन ब्लू टिक हटा दिया। इस ब्लू टिक को हटाने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया है।
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इस विवाद को बढ़ता देख 2 घंटे बाद उपराष्ट्रपति के ट्विटर अकाउंट पर ब्लू टिक वापस कर दिया। इस ब्लूटिक को वापस लेने पर सफाई देते हुए ट्विटर ने कहा कि हमारी गाइडलाइंस के अनुसार किसी भी अकाउंट को 6 महीने के भीतर लॉगइन करना जरूरी है। मगर वेंकैया नायडू का ट्विटर अकाउंट 6 महीने से लॉग इन नहीं किया गया है, जिसके चलते हमें यह कदम उठाना पड़ा।
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ट्विटर ने आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत के भी टि्वटर अकाउंट से वेरिफिकेशन ब्लूटिक को हटा दिया है। इसके पीछे भी ट्विटर की गाइडलाइंस मानी जा रही है क्योंकि मोहन भागवत का अकाउंट 2019 में बना था और तब से अब तक उस अकाउंट से एक भी ट्वीट नहीं किया गया है। मोहन भागवत के अलावा कई और भी बड़े नेताओं के अकाउंट से ट्विटर ने ब्लूटिक हटा दिया है। इसमें सुरेश सोनी ,सुरेश जोशी और अरुण कुमार जैसे दिग्गज नेता शामिल है।
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ट्विटर के नियमों के अनुसार देखें तो पिछले 6 महीने में लॉग इन करना जरूरी है तभी उस अकाउंट को एक्टिव माना जाता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपको ट्वीट, रीट्वीट, फॉलो ,अनफॉलो करना पड़े। लेकिन अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए 6 महीने में एक बार लॉग इन करना जरूरी है और अपने प्रोफाइल को अपडेट करना भी आवश्यक है।