Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत में राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे के ऊपर ओछी राजनीति करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है। राजनीति एक तस्वीर से लेकर मौत पर भी हो जाती है। भारत में राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि नेता गरीबों से लेकर अमीरों तक को राजनीति में घसीट लेते हैं। भारत के नेता और राजनीतिक पार्टियां मौत से लेकर बलात्कार जैसे मामलों में भी राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आती है। कुछ दिन पहले इलाहाबाद में भी आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit mahotsav) कार्यक्रम के दौरान सीएए आंदोलन में शामिल को बुलाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था जिसके चलते कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
Azadi Ka Amrit Mahotsav कार्यक्रम में नेहरू की तस्वीर गायब
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इसी बीच आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit mahotsav) कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit mahotsav) कार्यक्रम के दौरान कई सारे महापुरुषों की तस्वीर लगाई गई थी जिसमें देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर गायब थी। जैसे ही तस्वीर वाले पोस्टर को कांग्रेस ने देखा उसके बाद उसने सवाल खड़े करने शुरू कर दी है।
राहुल गाँधी ने की आलोचना कहा लोगों के दिल से कैसे निकलोगे?
आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit mahotsav) कार्यक्रम के दौरान जारी इस पोस्टर में पंडित नेहरू की तस्वीर ना होने की वजह से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की कड़ी आलोचना शुरू कर दी है। राहुल गांधी ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के ऊपर सवाल खड़े करते हुए कहा देश के प्यारे पंडित नेहरू को लोगों के दिल से कैसे निकाला जा सकेगा। राहुल गांधी ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए नेहरू के जीवन से जुड़ी कई तस्वीरें साझा किया। राहुल गांधी ने कहा कि देश के प्यारे पंडित नेहरू को लोगों के दिल से कैसे निकाल लोगे? राहुल गांधी ने यह सवाल भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद से किया था।
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शशि थरूर ने भी किया आलोचना
इस तस्वीर विवाद (Azadi Ka Amrit mahotsav) में सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने भी भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ का एक स्क्रीनशॉट साझा किया है। शशि थरूर ने जो स्क्रीनशॉट शेयर किया उसमें महात्मा गांधी, बी आर अंबेडकर, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राजेंद्र प्रसाद, मदन मोहन मालवीय, भगत सिंह और विनायक दामोदर सावरकर जैसे महान विभूतियों की तस्वीरें लगाई गई थी। स्क्रीनशॉट में पंडित नेहरु की तस्वीर कहीं भी नजर नहीं आ रही थी।
शशि थरूर ने इसको इतिहास के विरुद्ध बताया
शशि थरूर ने इस तस्वीर को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा कि भारतीय स्वतंत्रता के प्रमुख आवाजों में से एक पंडित जवाहरलाल नेहरू को छोड़कर आजादी का जश्न मनाना न केवल नेता है बल्कि इतिहास के विरुद्ध भी है। शशि थरूर ने कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने पंडित नेहरु की तस्वीर को हटाकर खुद को कलंकित किया है और उनकी आदत होती जा रही है।
It is not merely petty but absolutely ahistorical to celebrate Azadi by omitting the pre-eminent voice of Indian freedom, Jawaharlal Nehru. One more occasion for ICHR to disgrace itself. This is becoming a habit! pic.twitter.com/wZzKCvYEcD
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 27, 2021
अन्य नेताओं ने भी उठाये सवाल
इसके बाद कुछ और कांग्रेसी नेताओं ने भी भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) के ऊपर सवाल खड़े किए हैं। इन नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के द्वारा उठाए गए इस कदम को कपट पूर्ण बताया है। जयराम रमेश ने कहा इस अत्याचारी शासन में इस कृत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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तस्वीर न लगाने की वजह अब तक नहीं आयी है सामने
आपको बता दें भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की तरफ से इसको लेकर अब तक किसी भी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं की गई है। पंडित जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर Azadi Ka Amrit mahotsav में क्यों नहीं लगाई गई इसको लेकर अभी भी सवाल बना हुआ है। तस्वीर लगाने के पीछे की वजह अब तक भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है। पंडित जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर ना लगाने को लेकर आप क्या सोचते हैं हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।
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