Prashant Kishor 34 की उम्र में यूएन की नौकरी छोड़ कैसे बने भारतीय राजनीति के चाणक्य ?

बिहार में जन्में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) देश के सबसे भरोसेमंद चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाने जाते है. प्रशांत किशोर की रणनीति ने कई राजनेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि प्रशांत कभी यूएन में नौकरी भी करते थे.

यह भी पढ़े: ISRO के वैज्ञानिकों ने किया अनोखा शोध, मंगल पर भवन तैयार करेगा बैक्टीरिया से बना ईट, जाने इसकी ख़ासियत।

मंगलवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) यानी पीके ने कांग्रेस में शामिल होने से मना कर दिया. बीते कुछ दिनों से चुनावी गलियारों में इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन इन सभी अटकलों पर मंगलवार को पूर्ण विराम लग गया। कांग्रेस पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.

लेकिन एक सवाल सभी के मन में उठता है कि प्रशांत किशोर आखिर इतने बड़े चुनावी रणनीतिकार कैसे बन गए? प्रशांत किशोर ऐसा क्या रणनीति बनाते हैं कि चुनाव में पार्टियों का जीतना लगभग तय हो जाता है. आज इन सभी सवालों के जवाब हम देगें और बात करेंगे प्रशांत की राजनीतिक पिच पर सुहाना सफर शुरू कब और कैसे हुआ था.

बक्सर में जन्में Prashant Kishor को जेडीयू ने निकाला

प्रशांत किशोर का बिहार के बक्सर जिले में जन्म हुआ था. इनका का पूरा नाम प्रशांत किशोर पांडे है. प्रशांत किशोर इस वक्त भारत की राजनीति में एक रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते हैं. लेकिन कभी एक समय ऐसा भी था कि उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया था.

यह भी पढ़े:  Modi meeting with CM : पीएम ने की महंगाई पर चर्चा, तो केजरीवाल की अगड़ाई पर बवाल, जाने बैठक का पुरा लेखा जोखा।

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने संयुक्त राष्ट्र में 34 साल की उम्र में नौकरी छोड़ी और 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ गए. कहा जाता है कि उसी समय से राजनीतिक ब्रांडिंग का दौर भी देश में शुरू हो गया था. ऐसा पहली बार देश में हो रहा था कि चुनाव के लिए इस तरह का प्रचार शुरू हुआ हो.

मोदी के साथ Prashant Kishor के रिश्ते

प्रशांत किशोर का नाता पीएम मोदी से भी है. कहा जाता है कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के राजनीतिक पिच पर सुहाने सफर की शुरुआत 2014 में मोदी की सरकार सत्ता में आने के बाद से शुरू हो गई थी. प्रशांत किशोर को आज पूरे देश में एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पहचान मिल चुकी है. प्रशांत हमेशा पर्दे के पीछे से अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते हैं और इसलिए उन्हें सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है.

देश की पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी का गठन

2014 के चुनाव में प्रशांत ने सिटीजंन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस की स्थापना की. भारत में यह पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी के तौर पर गठित की गई. सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस एक प्रकार की एनजीओ है, जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले प्रतिभावान युवाओं को शामिल किया जाता है. 2014 के चुनाव में मोदी की मार्केटिंग और विज्ञापन जैसे अभियानों के पीछे भी प्रशांत किशोर का ही हाथ था.

यह भी पढ़े:  Corona Virus In India : पीएम मोदी की बैठक हुई खत्म, मुख्यमंत्रियों को दिए सख्त निर्देश।

2014 लोकसभा चुनाव में प्रशांत को मिला जीत का श्रेय

2014 के चुनाव में चाय पर चर्चा, 3-डी रैली, रन फॉर यूनिटी और मंथन जैसे अभियानों का भी श्रेय प्रशांत किशोर को ही दिया जाता है. प्रशांत किशोर इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमिटी नाम के एक संगठन को भी चलाते हैं और यह संगठन नेताओं के भाषणों की ब्रांडिग करने का काम करता है.

2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता में आने के बाद प्रशांत ने भाजपा का साथ छोड़ा और 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव में शामिल होने के लिए नीतीश और लालू के महागठबंधन के साथ जुड़ गए.

Prashant Kishor
Prashant Kishor

बिहार के 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन की जीत में एक अहम भूमिका निभाई थी, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अपने लोकप्रिय नारों के लिए भी जाने जाते हैं. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को जिताने के लिए उन्होंने हर घर दस्तक और बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है जैसे कई महत्वपूर्ण और लोकलुभावन नारे दिए थे. चुनाव जीताने के बाद प्रशांत को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी प्राप्त हुआ.

कई राजनेताओं को चुनाव जिताने में प्रशांत की भूमिका

प्रशांत (Prashant Kishor) ने 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह, 2019 में जगनमोहन रेड्डी, 2020 में अरविंद केजरीवाल, 2021 के चुनाव में ममता बनर्जी का भी साथ दिया था. किशोर ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया लेकिन चुनाव जिताने में सफल नहीं रहे. य़ह किशोर की चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पहली हार थी.

यह भी पढ़े: Loudspeakers controversy: CM Yogi Adityanath सख्त, जाने क्या है आदेश…?

Leave a Comment

नरेंद्र मोदी की माँ का निधन कब हुआ? | Heera Ben Ka Nidhan Kab Hua कर्नाटक के मुख्यमंत्री कौन है?, Karnataka Ke Mukhya Mantri kon Hai, CM Of Karnataka कर्नाटक के बिजली मंत्री कौन है? , Karnataka Ke Bijli Mantri Kon Hai, Electricity Minister Of Karnataka पश्चिम बंगाल में Bikaner Express के 12 डिब्बे पटरी से उतरे विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश (Assembly elections Uttar Pradesh)